गणेश चतुर्थी का इतिहास और महत्व
आइए जानें बप्पा के इस पावन पर्व की कहानी।
गणेश चतुर्थी भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है।
यह पर्व हर साल भाद्रपद मास की चतुर्थी को मनाया जाता है।
धार्मिक मान्यता
भगवान गणेश को "विघ्नहर्ता" और "सिद्धिदाता" माना जाता है।
हर शुभ कार्य से पहले गणपति की पूजा अनिवार्य है।
प्राचीन काल से परंपरा
गणेश पूजा का वर्णन पुराणों में मिलता है।
राजाओं और आमजन द्वारा गणपति उत्सव मनाने की परंपरा रही है।
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक
1893 में तिलक जी ने गणेश उत्सव को सार्वजनिक रूप से मनाना शुरू किया।
इससे आज़ादी के आंदोलन में जनजागरण हुआ।
सामाजिक महत्व
गणेशोत्सव लोगों को एकता और भाईचारे का संदेश देता है।
यह त्यौहार सामूहिकता और सामाजिक जागरूकता का प्रतीक है।
सांस्कृतिक महत्व
महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, गोवा और कर्नाटक में यह पर्व धूमधाम से मनाया जाता है।
नृत्य, संगीत और शोभायात्राएँ इसकी खासियत हैं।
धार्मिक अनुष्ठान
गणपति स्थापना, पूजा-अर्चना और अंत में विसर्जन इस पर्व के मुख्य अंग हैं।
आधुनिक समय का गणेशोत्सव
आज यह त्योहार भारत ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी बड़े उत्साह से मनाया जाता है।
पर्यावरण के लिए Eco-friendly गणपति का चलन बढ़ रहा है।
निष्कर्ष
गणेश चतुर्थी का महत्व सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक भी है।
गणपति बप्पा मोरया
गणपति बप्पा मोरया